रूप उसका है सबसे निराला, अप्रम पार है उसका हर एक लीला। रूप उसका है सबसे निराला, अप्रम पार है उसका हर एक लीला।
चराचर जगत के श्रीनाथ हैं देवाधिदेव हरिहर। चराचर जगत के श्रीनाथ हैं देवाधिदेव हरिहर।
जय हो श्री जगन्नाथ की , जय हो पुरी वासियों की। जय हो श्री जगन्नाथ की , जय हो पुरी वासियों की।
कहीं ना होके भी वह हर जगह है होता। कहीं ना होके भी वह हर जगह है होता।
थम सा गया हूँ मैं उन लम्हों में, जब उस हूर को देख लिया था इन आंखों ने, झूम रहा था म थम सा गया हूँ मैं उन लम्हों में, जब उस हूर को देख लिया था इन आंखों ने, ...
ज़िन्दगी इस तरह, मेरी पामाल है, मेरी हर चाल पर, उसकी इक चाल है। लुट गया चैन है, नीं ज़िन्दगी इस तरह, मेरी पामाल है, मेरी हर चाल पर, उसकी इक चाल है। लुट गया...